Saturday 9 September 2017

भोजपुरी : स्मृति आ समकाल क मैजिक / लेखक - परिचय दास

 कहल-सुनल -1

भोजपुरी व्यवहार में बरते जाए वाली, बोले जाए वाली आ लिखित भासा दूनों ह । एगो बड़हन भू-भाग में ऊ बोलल जाले । यद्यपि आज ऊ देवनागरी में लिखल जाले बाकिर कब्बों एकरे खातिर कैथीलिपियो उपयोग में लीहल जात रहे । एकर भासाई आ क्रियापद क अन्विति में गहिर परंपरा के सन्निवेस हवे । ई खाली लोकके श्रेनी में डाल के छुट्टी पा लिहल जाए वाली भासा नइखे । भोजपुरी मात्र भोजपुरी फिल्मन आ कुछ सांगीतिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमन ले सीमित नइखे । भोजपुरी साहित्य के अभिकेन्द्रक ले सामान्य आदमी के कई बेर ना पहुंच ना हो पावेला , यद्यपि ओकर आधार सामान्य मनई हवे... ।

भोजपुरी साहित्य के असली रूप अब जनसमाज के समने कायदे से 'आधुनिक आ समकालीन रूप ' में आवे के चाहीं । वइसे अबहूँ कुछ हद तक आ रहल बा । एके दूसर भासा में कहल जाय त अब हमनी के अइसन पाठक- समाज विकसित करे के ह जवन भोजपुरी साहित्य प्राथमिकता से पढ़े। हमनी के वोह तरह के समाज बनावे के चाहीं , जेम्मे भोजपुरी में लिखे वाला आलोचक, निबंधकार, कवि आ पत्रकार हमनी खातिर क्रेज के विसय होखे । हमनी के समाज के वैचारिक नेतृत्व करे वाले खातिर स्पृहा होखे। जे लोग सामाजिक चाहे राजनैतिक छेत्र में सक्रिय ह , उनके कुछ इतर कारनन आ सक्रियता के कारन लोग जानेलें । ई एगो अलगे समाजसास्त्र ह जवन लोग हमनी के सांस्कृतिक (साहित्य, कला, संगीत, थियेटर, नृत्य इत्यादि) नेतृत्व करेलन , विशेष तौर पर साहित्यिक नेतृत्व, उनके प्रति हमनी के तात्कालिक उदासीनता बहुत विकट रूप में लउकेले । वृहत्तर अर्थ में ई एक तरह के सांस्कृतिक विपथन ह । हमनी के कइसन समाज बना रहल हईं जा जेम्में कंपनियन से पैकेज, सोफा, एलईडी, कार, बंगला हमनी के समकालीनता में शामिल ह बाकिर साहित्य नइखे । का हमनी के अइसन भोजपुरी समाज ना बना सकीले जहां शहरी, अर्धसहरी या ग्रामीण मेहरारू -मरद बजार जांय , कवनों समान खरीदें त उनके सोच में एगो भोजपुरी के किताब या पत्रिको खरीदल सामिल होखे ?

अबहिन जवना कवि- व्यक्तित्व के बारे में ठीक से धियान भोजपुरी समाज के ना गइल ह , ऊ हवें - बिसराम । ऊ जब बिरहा सुनावत रहलें त फुटकर प्रसंग में एगो भिन्न प्रकृति के कविता बोलत रहे । भिखारी ठाकुर के समानांतर या उनके कालांतर के साहित्य पर अबहिन हमनी के केन्द्रीय दृष्टि ठीक से गइल ना लगत हवे , अइसन कुछ लोग के मत बा । भिखारी ठाकुर के साथे -साथे अपने अवरहूँ समकालीन साहित्यधर्मी आ साहित्य सिलपियन के पारदरसी अन्वेसन आवस्यक ह । कवनहूँ संस्कृतिशील समाज के उद्बुद्ध होखला के लच्छन इहे ह कि ओकर संवेदनसीलता के केतना लय ह । साहित्य वोही संवेदनमयता के विलच्छन लय ह । समाज खाली समाज के फोटोकॉपी नइखे । कॉपी कहि के हम ओकरा के अवमूल्यित ना करब । ओम्में अंतकरन के विसादो -संवादो हवें ।

भोजपुरी में लोक ह त अत्याधुनिकतो हवे । लोकसंस्कृति से प्रेरित होखल या परंपरा से दम प्राप्त कइल एगो स्वस्थ प्रकृति क निदरसन ह बाकिर ओसे आगे बढ़िके अपन समय व समाज पर दीठ गइल हमनी के अग्रगामी बनाई । सामाजिक चेतना के बगैर हमनी कई गो फूहर संवाद या स्तरहीन हास्य अथवा देह के अनर्थक प्रस्तुति से मुकाबला ना क पावल जाई । ई बात याद रखे के चाहीं कि राजनीति से अधिक दूर ले साहित्य जाला , यद्यपि दूनों में द्वंद्व देखल आजु के टाइम में नासमझी होखी । बस कहे के ई बा कि साहित्य, समाज, कला के राजनीति के उपनिवेस मानल गलत हवे । कई बेर राजनीति तात्कालिकता से पार ना पावे त साहित्य सदी- सताब्दी- अनंतकाल खातिर अंतरदीठ देला ।

एही से भोजपुरी साहित्य आ सिल्प पर ठीक से धियान जाए खातिर एगो वातावरन के निर्मिति आवश्यक हवे । अइसन माहौल बने कि जनसमाज आलोड़ित हो उठे कि बगैर अपन लिखित साहित्य के समझले , पढ़ले या अवगाहित कइले हमनी के एगो निस्चित तरह के बिंबधर्मिता, गहराई आ थाती से वंचित रहि जाइल जाई । भोजपुरियो समाज कृषि समाज से औद्योगिक व जटिल समाज की ओर बढ़ चुकल बा । हमनी के अपन सांस्कृतिक संरच्छन खातिर अब वोही तरह के उपकरन चुने के होखी । भोजपुरी समाज के पास अथाह, अगाध आ स्मृति-परकता ह । हर संस्कृति में स्मृति समय क एगो मापदंड हवे । स्मृति ना त सच पूछीं त समय ना । भोजपुरी साहित्य आत्मा के जीवित प्रतिरूप ह ।

सर्जनात्मक भोजपुरी साहित्य धरती आ आकास के दुर्लभ मेल हवे , जेम्में परिचित बंधुत्व के संस्पर्स हवे , गोधूलि के रंग हवे । ओम्में मूल के तलाश हवे आ केन्द्र -बिंदु के खोज। ओम्में जटिलता, वेदना, आधुनिक कला आ अंतर्मन के आधार-वक्तव्य हवे । भोजपुरी राज्यसे अधिक समाज पोसित ' हवे । ओम्में कण्ठ- स्वर से ले के नएपन के प्रक्रिया के अनेक रूप हवें । असली महत्व हवे - समाज में भोजपुरी के साहित्य-आलोड़न आ भासिक परिमार्जन। डॉक्टर सीताकांत महापात्र के सब्दन में-- साहित्य मंच के भासा हवे , मैजिक के भासा हवे । ई भावाभिव्यक्ति के नूतन मोड़ हवे , अपरिचित महादेस में नयका मील के पत्थर हवे । 
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लेखक के परिचय: 

डॉक्टर रवींद्र नाथ श्रीवास्तव  '' परिचय दास ''

जन्म- 1 मार्च, 1964  , ग्राम- रामपुर काँधी , पोस्ट- देवलास , ज़िला- मऊ , उत्तर प्रदेश .

सांस्कृतिक कविता , भारतीय आलोचना आ  ललित निबंध में नए विन्यास क प्रयत्न .भोजपुरी कविता में एगो  नए शिल्प -पथ क सृजन .  30 से अधिक पुस्तक.    लेखन '' परिचय दास '' नाँव  से.    परिचय दास के परिचय   '' विकिपीडिया ''  प्रकासित कइले बा.  कृपया देखल जाव -- WIKIPEDIA PARICHAY DAS.

भोजपुरी , मैथिली , हिन्दी में लेखन .  गोरखपुर विश्व विद्यालय से साहित्य के समाजशास्त्र में डॉक्टरेट . सार्क साहित्य सम्मेलन , नई दिल्ली में कविता-पाठ के अतिरिक्त भारत की ओर से नेपाल सरकार के नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान , काठमांडू में भोजपुरी पर व्याख्यान.परिचय दास क रचना कई विश्वविद्यालय के एम. ए. के पाठ्यक्रम में सम्मिलित.

भोजपुरी-मैथिली पत्रिका - 'परिछन' के संस्थापक-संपादक एवं हिन्दी पत्रिका - 'इंद्रप्रस्थ भारती' के संपादक रहले .

भोजपुरी-हिन्दी में प्रकाशित द्विभाषी प्रमुख प्रकाशित प्रमुख पुस्तक - 'संसद भवन की छत पर खड़ा हो के ', 'एक नया विन्यास', 'युगपत समीकरण में', 'पृथ्वी से रस ले के ', 'चारुता', 'आकांक्षा से अधिक सत्वर', 'धूसर कविता';, 'कविता चतुर्थी', 'अनुपस्थित दिनांक', 'मद्धिम आंच में', 'मनुष्यता की भाषा का मर्म ' [सीताकांत महापात्र की रचनात्मकता पर संपादित पुस्तक ] , 'स्वप्न, संपर्क, स्मृति' [ सीताकांत महापात्र पर संपादित दूसरी पुस्तक ],
''भिखारी ठाकुर '' [ भोजपुरी में संपादित पुस्तक ] , भारत की पारम्परिक नाट्य शैलियाँ [ दू  खण्ड में ] , 'भारत के पर्व [ दू  खण्ड में ].

 '' परिचय दास '' भारतीय कविता आ ललित निबंध  में एगो  महत्त्वपूर्न नांव  हवे .

ऊ  हिन्दी अकादेमी ,दिल्ली सरकार के   सर्वोच्च अधिकारी तथा विभागाध्यक्ष रहि  चुकल  हवें .   साथे , मैथिली-भोजपुरी अकादेमी,   दिल्ली  सरकार  के  सर्वोच्च अधिकारी एवं विभागाध्यक्ष रहि  चुकल हवें 

 सुभारती विश्वविद्यालय,मेरठ  में  शोध-निर्देशक [ पी एच. डी  गाइड ] हवें  .   उहाँ  हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति के  मानद प्रोफेसर   हवें .राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ , तिरुपति [ डीम्ड यूनिवर्सिटी ] के विजिटिंग प्रोफ़ेसर आ  मेंबर, बोर्ड आव स्टडीज़  -हिन्दी  हवें

 उनकर 30 से अधिक लिखित एवं संपादित पुस्तकें हईं . साहित्य,कला,अनुवाद,लोक संदर्भ, सांस्कृतिक चिंतन, भारतीय साहित्य,साहित्य के  समाज शास्त्र इत्यादि पर कार्य हवे . कविता ,ललित निबंध,आलोचना इत्यादि में  हस्तक्षेप  हवे .

साहित्य संस्कृति के लिए  7 सम्मान मिल चुकल हवे जेम्मे   द्विवागीश सम्मान, श्याम नारायण पांडेय सम्मान, भोजपुरी कीर्ति सम्मान,एडिटर्स चाय्स सम्मान, रोटरी क्लब साहित्य सम्मान इत्यादि महत्त्वपूर्न  हवें .

परिचय दास  के   जीवनी  आ  साहित्य जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय,छपरा [बिहार]  आ  वीर कुवर सिंह विश्वविद्यालय ,आरा [बिहार ] के एम. ए.  में  चतुर्थ सेमेस्टर [ फाइनल ईयर ] में पढ़ावल जालीं .
साथे  उन कर  कविता  राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति    [ डीम्ड यूनिवर्सिटी ] के एम .ए . [ हिन्दी ] के पाठ्यक्रम में पढ़ावल  जाले.
 ऊ कई गो  विश्वविद्यालयन  के एम. ए. [हिन्दी ] क पाठ्यक्रम बना  चुकल हवें . वोह  समितियो  क सदस्य हवें    , जवन एम. ए. हिन्दी क पाठ्यक्रम बनावेले.

ऊ    नेपाल  में आयोजित साहित्य अकादेमी की ओर से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन [2012 ,फ़रवरी ]  के  सदस्य रहि चुकल बाड़ें    , जेम्में  ऊ    व्याख्यान  दिहले रहलें . वोह  सम्मेलन  में  मैथिली,भोजपुरी ,लिंबू, थारू, नेपाली आ  हिन्दी भाषा पर चर्चा भइल रहे. .

ऊ  संस्कृत,हिन्दी,अंग्रेज़ी,भोजपुरी,मैथिली आदि भाषा में  गति  रखेलें . ऊ  हिन्दी क प्रतिष्ठित पत्रिका -'इंद्रप्रस्थ भारतीक संपादन कर चुकल हवें .  मैथिली-भोजपुरी की प्रतिष्ठित पत्रिका '' परिछन' के संस्थापक संपादक रहि चुकल हवें. ''परिछन '' कुंवर सिह विश्वविद्यालय आरा,बिहार आ जयप्रकाश यूनिवर्सिटी,छपरा, बिहार के एम. ए. [ भोजपुरी ] के पाठ्यक्रम में पढ़ावल जाले .

दिल्ली में आयोजित सार्क सम्मेलन  में   ऊ   कविता -पाठ कइले रहलें. [2011].

हिन्दी अकादेमी,दिल्ली  आ  मैथिली-भोजपुरी अकादेमी,दिल्ली के सचिव रहत ऊ  300 से अधिक साहित्यिक -सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित  कइलें . .भारतीय कविता के 3 अखिल भारतीय आयोजन कइलें , जेम्में  25 भाषा के साहित्यकार अइलें.
लालक़िला  [ दिल्ली ] पर 2 बेर  कवि-सम्मेलन आ  फ़ीरोज़शाह कोटला मैदान [ दिल्ली ]  में 1  बेर कवि-सम्मेलन आयोजित कइलें  ,जवन अखिल भारतीय रहल.. एकरे  अलावा आलोचना, निबंध,कथा,अनुवाद आदियो के  आयोजन कइलें  , जवन अपन गंभीरता आ  संसर्ग खातिर जानल जालें.
   
 डॉक्टर रवींद्र नाथ श्रीवास्तव  '' परिचय दास ''
७६ , दिन अपार्टमेंट्स, सेक्टर-४, द्वारका, नई दिल्ली-११००७८
मोबाइल-०९९६८२६९२३७  /  ई .मेल-   parichaydass@rediffmail.com












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